Wednesday 29 July 2015

कलाम को सलाम

यकीन नहीं होता कि कलाम साहब हमें छोड़ गये हैं। मन कभी भी मानने को तैयार नहीं होगा कि कलाम साहब अब हमारे बीच नहीं रहे। जिस विराट व्यक्तित्व ने हमें जीने की कला सिखाई हो, आगे, और आगे बढ़ते रहने का मूल मंत्र दिया हो, जीवन में सहज और सरल बने रहने की शिक्षा दी हो, खुद को कभी छोटा न समझो यह हौसला दिया हो, किताबों से प्यार करना और शिक्षा को विकास का औजार बताया हो, जिसके नेतृत्व में देश को नई राह मिली हो और जिसने अपने हौसलों ने हमें अंतरिक्ष तक पहुंचाया हो ऐसी महान विभूति को हम भला भूल भी कैसे सकते हैं।

जिस मेहनत और लगन से कलाम साहब भारत रत्न बने और फिर देश के प्रथम नागरिक बने ऐसा दूसरा उदाहरण ढंूढे से भी नहीं मिलेगा। कलाम साहब को इसलिए नहीं जाना जाता कि उन्हें बड़ा घराना विरासत में मिला था। उनको विरासत में मिला था कम पढ़े-लिखे पिता का साया और परिवार के कमजोर आर्थिक हालात। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में हिमालय-सी उंचाई पर उनके जैसा असाधारण व्यक्तित्व का मालिक ही पहुंच सकता है। वे मेहनत के बल पर खुद ही इतना उंचा उठे थे कि उनकी ऊंचाई को छूना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। मात्र आठ साल की मासूम उम्र में स्टेशन और बस अड्डे पर अखबार बेचकर परिवार की परवरिश में पिता का हाथ बंटाने वाले मेहनती-साहसी बालक थे कलाम साहब।

कलाम साहब शिखर पर पहुंचने के बाद भी जिस सादगी से जिया वैसी सादगी आज कहीं किसी में भी देखने को नहीं मिलती। याद आता है 2002 की वह जुलाई की महीना जब उन्होंने देश के प्रथम नागरिक के रूप में राष्टपति भवन में प्रवेश किया तब उनके कंधे पर कपड़ों से भरा एक बैग था। राष्ट्रपति भवन में पांच वर्ष बिताने के बाद जब वे वर्ष 2007 में राष्ट्रपति भवन से बाहर निकले तब भी उनके कंधे पर कपड़ों से भरा एक बैग ही था। यही नहीं अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रपति भवन का मात्र एक कमरा ही प्रयोग किया था, बाकी कमरों में उन्होंने ताला डलवा दिया था।
कलाम साहब को जहां बच्चे बहुत प्यारे थे वहीं बजुर्गों के लिए भी उनके दिल में असीम सम्मान था। देश के भविष्य युवाओं को उन्होंने आगे बढ़ते रहने के लिए अनेक मंत्र दिये। वे सोचते थे कि जितना युवा आगे बढ़ेगा, देश भी उतना ही आगे बढ़ेगा। सफलता के लिए मेहनत को मूलमंत्र बताते हुए वे युवाओं से कहते थे कि भगवान भी मेहनत करने वाले की ही मदद करता है। वे कहते थे कि मुश्किलों से डरो मत, उनका डटकर सामना करो, मुश्किलें स्वतः ही हल हो जाएंगी। वे छात्रों से कहते थे कि अपनी जिज्ञासा को सोने मत दो ,उसे जाग्रत रखो। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए वे हम सबसे कह गये हैं कि बच्चो के भविष्य के लिए चलो हम अपना आज कुर्बान करें।

दार्शनिक व्यक्तित्व के धनी कलाम साहब की नजर में नेतृत्व ऐसा होना चाहिए जिसमें दूरदर्शिता के साथ-साथ जुनून भी हो। जो बड़ी से बड़ी समस्या से भी विचलित न हो बल्कि डटकर सामना करने की क्षमता रखता हो। वे कहते थे कि नेता को ईमानदारी से अपना काम करना चाहिए। देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने में वे माता-पिता और शिक्षक की भूमिका को अहम् मानते थे। वे यह सब तब कहते हैं जब उन्होंने ईमानदारी को कभी छोड़ा नहीं और भ्रष्टाचार उनको कभी छू तक नहीं सका।

अपने आखिरी शब्दों में भी कलाम साहब हम सबको ‘आल फिट’ की सीख देकर गए हैं। उनके अंतिम शब्दों में छुपे मतलब को समझ कर उसे आत्मसात कर जीवन में अपनाने की जरूरत है। जैसे महात्मा गांधी के अंतिम शब्द ‘हे राम’ हमें आज भी याद हैं और रहेंगे ठीक वैसे ही कलाम साहब के अंतिम शब्द ‘आल फिट’ कालजयी रहेंगे। मेरा अपना मानना है कि जैसे महात्मा गांधी की समाधि पर ‘हे राम’ लिखा है ठीक वैसे ही कलाम साहब की समाधि पर ‘आल फिट’ लिखा जाना चाहिए।

आइये, हम सब मिल कर उनके बताये रास्ते पर चलने और उनके सपनों का देश बनाने का संकल्प लें, यही कलाम साहब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। तहलका न्यूज परिवार की और से प्रकाश के पुंज, अदम्य साहसी कलाम साहब को शत् शत् नमन के साथ अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

Tuesday 1 April 2014



स्वभाव से खुशमिजाज़ दिखने वाली,बातों में चंचल और खाने की  शौखीन कुछ ऐसी  लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का कोर्स कर रही मासूमा रिज़वी । आईये पढ़ते हैं उनसे की हुई बातचीत के कुछ अंश -

हेमेन्द्र : हई मासूमा ! कैसी है आप ?

मासूमा : I m well....! और सब ठीक चल रहा है । 

हेमेन्द्र : लखनऊ से आपका कितना पुराना रिश्ता है ?

मासूमा : हाँ मैं बचपन से ही नबाबों के शहर लखनऊ की  ही हूँ । 

हेमेन्द्र : आप अपने बारे में कुछ बताइए ?

मासूमा : मेरा लक्ष्य " जिओ और जीने दो " है , इसी लक्ष्य को ध्यान में रख कर मैं अपनी जिंदगी का लुफ्त उठा रही हूँ और मुझे  मुस्किलें उठाना बिलकुल भी नही पसंद है, और मैं  बहुत ही मददगार और सेंसटिव लड़की हूँ । 

हेमेन्द्र : आप अपने फैमिली बैकग्राउंड के बारे में कुछ बताए ?

मासूमा : मेरा परिवार जिसमे मैं मेरी माँ बहन और पापा है , जिसमे मेरी माँ गोरखपुर की है और पापा लखनऊ से है मेरी मम्मी सी.एम.एस  स्कूल कि उप-प्रधानाचार्य है, पापा मेरे एन.जिओ मैं है, और मेरी बहन  ने १२ की  बोर्ड परीक्षा दी है ।

हेमेन्द्र : आप अभी परा स्नातक कर रही है ,क्या आप आगे भी पढाई को जारी रखना पसंद करेंगी या जॉब को ज्यादा तवज्जो देंगी ?

मासूमा : परा स्नातक के बाद मैं बी.एड  करना चाहूंगी। क्योंकि मैं अपनी जिंदगी को लेकर किसी भी तरह का रिश्क नहीं लेना चाहूंगी ।

हेमेन्द्र : आपको सोशल सर्विसेज बहुत पसंद है आप अपनी सोशल सर्विस कि कोई याद बताइये ?

मासूमा : मैंने कई एन.जिओस में ट्रेनिंग  की  है जिसमें "उम्मीद " एन.जिओ में काम किया  है और अभी मैं "सारथी  "में सलोनी प्रोजेक्ट जिसके अंदर as a adolescent लड़की कि तरह काम कर रही हूँ ।

हेमन्द्र : आप अपनी ताकत को कैसे प्रस्तुत करती है ?

मासूमा :  मैं कॉंफिडेंट हूँ और मैं बहुत ही मूफट हूँ मुझे जो भी लगता ही वो मैं सबके सामने उसके मुँह  पर बोलती हूँ और अगर किसी को मेरी बात बुरी लगे तो उसे मुझसे फेस टू फेस बोलना चाहिए न कि पीठ पीछे । 

हेमेन्द्र : आप अपनी कोई कमज़ोरी बताइये जिसमे आपको लगता कि वो आपके लिए कष्टदाई हो सकती है ? 

मासूमा : दिल से सोचना ही मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है । 

हेमेन्द्र : जिंदगी  में आप जब भी फेल हुई तो आपने उस फेलियर से क्या कुछ सीखा ? 

मासूमा : स्कूल के बाद मैंने स्नातक को कभी भी सीरियस नहीं लिए  वो ३ साल मेने बहुत ही हलके में लिए और मैंने इन बीते हुए तीन सालों से यही सीखा कि वो साल अगर मैंने सीरियस लिए होते तो परा स्नातक में कभी इतनी समस्याओं का सामना ना करना पड़ता ।

हेमेन्द्र : आप कि तरह के लोगो से नाता / दोस्ती करना पसंद करती है ?

मासूमा : जीवन में जब मुझे कोई दोस्त मिला/मिली और जितने भी मिले सब मेरे जैसे ही मिले जो कि मेरे स्वभाव से काफी मिलते जुलते है । 

हेमेन्द्र : अभी तक कि जिंदगी में आप कहाँ-कहाँ घूमी और कहाँ-कहाँ आगे के सफ़र में जाना पसंद करेंगी ?

मासूमा : मैं अभी तक नैनीताल, भोपाल और दिल्ली गई हूँ और मेरा ड्रीम डेस्टिनेशन इंडिया में कश्मीर और दुनिया में लन्दन । 

हेमेन्द्र : आप इतनी खूबसूरत जगहों में से लंदन और कश्मीर ही जाना क्यों पसंद करती है ?

मासूमा : मेरे परिवार से कई लोग लंदन में है और मेरी माँ लंदन जा चुकी है इसलिए भी मेरा ड्रीम कि मैं लंदन जाऊं और रहा मामला कश्मीर का कहते कि वो जन्नत से कम नहीं है इसलिए ही मैं यहाँ जाना पसंद करुँगी । 

हेमेन्द्र :  सुना है आप खाने कि बहुत ही सौखीन है तो खाने में आपकी बेहद पसंदीदा चीज़ क्या है or आपको क्या नापसंद है ?

मासूमा : ( हँसते हुए ) खाने में मेरा कोई कोम्प्रोमाईज़ नहीं है मैं बहुत ही फूडी हूँ। मुझे मट्टन और करेला नापसंद है ।


 

हेमेन्द्र:  आपके पसंदीदा कलाकारों के बारे में बताइये जिन्हें आप पसंद करती है ?

मासूमा : Actor आमिर खान , Actress दीपिका पादुकोण 

हेमेन्द्र: आपके रोले मॉडल ?

मासूमा : मेरे पापा ही मेरे रोले मॉडल है । 


तो ये थे मासूमा से बातचीत के कुछ अंश जिसमे हमने उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी से लेकर उनके भविष्य तक की चीज़े जानी। जिन्हें हमने काफी हद तक करीब से जानने कि कोशिश की,बहुत-बहुत धन्यवाद् मासूमा जी हमें अपनी कीमती वक्त देने के लिए,आपके उज्जवल भविष्य कि कामना करता हूँ आपसे बात करके काफी अच्छा लगा । 


Saturday 29 March 2014

TEACHER BANE GAURAV DEV SINGH


Roj k trah aaj jb  hmlog apne clg pahunche , mam k clas ho rhi thi jisme aaj unhone kuch 
intrsting kiya .ek quiz krwaye jo k hmlogo k ppr se related thi A or B team m.hmlogo  k 
jeet hoi isme.uske bad mam ne sbhi bacho ka choclats di.
 ab aaya mukl sr k clas ka time jismo vo aaj blog bnwane vale the , sr aaye or apne kam
me lg gye .tbhi hmlogo k mn mkhyal aaya k kyu na aaj kuch alag ho,mukl sr to roj hi clas lete 
hai aaj apne beech k gaurav ko sr bnaya jaye,ye bat hmlogo ne sr se khi 
or vo iske liye tyar ho gye. fr kya tha dev sr ban gye or sr student hmlogo k beech
mai.hmlogo ne dev sr se sawal ponche or dev sr ne unke answer diye .tbhi ek sawal poncha gya 
k  dev sr blog pr apni profile pic kaise lagaye jaye jisse dev sr bta nhi paye ,mukl sr ne aake btaya 
is sawal k jwab. uske bad sr ne kuch blog btaye follow krne k liye.